भुवनेश्वरी मंत्र

Bhuvaneshwari Mantra

ऐश्वर्य तथा ज्ञान, मोक्षादि की प्राप्ति हेतु श्री भुवनेश्वरी देवी के निम्न मंत्र का अनुष्ठान कर नित्य जप करें। माता भुवनेश्वरी भगवान श्रीकृष्ण की इष्ट देवी थीं। इनकी आराधना से कीचड़ में कमल की तरह मनुष्य संसार में रहते हुए योगीश्वर हो जाता है।

भुवनेश्वरी देवी मंत्र विधि

महाविद्या साधना आप नवरात्रि के दिनों में कर सकते हैं या शुभ दिन शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं ! सर्वप्रथम भुवनेश्वरी देवी की मंत्र सिद्ध साधना सामग्री यंत्र माला लेकर साधना शुरू करें !

मंत्र- ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भुवनश्वर्ये नम:।।

दशांस हवन का दशांस, तर्पण का दशांस, मार्जन का दशांस, ब्राह्मण भोजन तथा कन्या भोजन अनिवार्य है। रक्तासन, पुष्प, रक्त-वस्त्र इत्यादि का ध्यान रखें।नेश्वरी जयंती कब मनाई जाती है .

भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष द्वादशी (12वें दिन) के दिन भुवनेश्वरी देवी की जयंती मनाई जाती है. इस साल 2020 में ये 30 अगस्त को मनाई जाएगी.

भुवनेश्वरी जयंती महत्व

कहा जाता है, भुवनेश्वरी जयंती के दिन स्वयं देवी धरती में आती है. भुवनेश्वरी का मतलब होता है, समस्त ब्रह्मांड की रानी. कहते है, भुवनेश्वरी देवी समस्त ब्रह्मांड पर राज्य करती है, वे अपने नियम एवं आज्ञा समस्त प्रथ्वी को देती है. वे अपनी इच्छा अनुसार पारिस्थितियों को नियन्त्रण में करती है, साथ ही मोड़ देती है. समस्त ब्रह्मांड उनके शरीर का हिस्सा है और सभी प्राणियों को वे गहने के रूप में धारण किये हुए है। वे समस्त ब्रह्मांड की रक्षा ऐसे करती है, जैसे वो एक कोमल फूल है, और जिसे उन्होंने अपने हाथ में संभाले रखा है।

भुवनेश्वरी देवी का स्वरुप

भुवनेश्वरी देवी गायत्री मन्त्र में विशेष स्थान रखती है. इनका एक चेहरा, 3 आँखें और चार हाथ है. जिसमें से दो हाथ वरद मुद्रा एवं अंकुश मुद्रा भक्तों की रक्षा और आशीर्वाद देते है, जबकि बाकि दो हाथ पाश मुद्रा एवं अभय मुद्रा दानव, असुरों का संहार करते है। वे सर्वोच्च शक्ति का प्रतीक है. इनका शारीरिक रंग गहरा है, इनके नाख़ून समस्त ब्रह्मांड को दर्शाते है. इनके चेहरे में एक चमक है, एक तेज है। इन्होने चंद्रमा को मुकुट के रूप में धारण किया हुआ है।

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